राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण
केन्द्र सरकार ने राजपत्रित अधिसूचना दिनांक 20.02.2009 के तहत गंगा नदी के प्रदूषण को कम करने के लिए पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के अंतर्गत केन्द्र और राज्य सरकार के एक सहयोगी संस्थान के रूप में राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण की स्थापना की है। प्राधिकरण का उद्देश्यं योजना की इकाई के रूप में नदी बेसिन के साथ एक संपूर्ण दृष्टिकोण को अपनाकर प्रदूषण में प्रभावी रूप से कमी और गंगा नदी का संरक्षण सुनिश्चित करना है। नीति के निर्णयों के लिए राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण की शीर्ष निकाय की अध्यक्षता प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है और राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण के कार्यक्रम के कार्यान्वयन की आवधिक समीक्षा के लिए स्थाई समिति की अध्यक्षता वित्त मंत्री द्वारा की जाती है। मंत्रिमंडल द्वारा दिसंबर, 2009 को राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण के कार्यक्रम के अंतर्गत परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए फास्ट ट्रेक तंत्र की स्थाापना की गई थी। स्वच्छ मिशन गंगा के लिए एक मिशन निदेशालय के निर्माण और विभिन्न केन्द्रीय मंत्रालयों और केन्द्र राज्य के बीच समन्वय एवं निगरानी सहित परियोजना के कार्य निष्पादन और अनुमोदन हेतु सशक्त संचालन समिति (ईएससी) की स्थापना को मंजूरी दी गई। भारत सरकार (व्यवसाय के आबंटन) नियम, 1961 में 306वें संशोधन के माध्यम से 1 अगस्त, 2014 से मिशन निदेशालय मंडल और गंगा के पुनर्जीवन से संबंधित अन्य मामलों सहित राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय को स्थानांतरित व आबंटित किया था। हालांकि सितंबर 2014 में प्रदूषण में प्रभावी रुप से कमी सुनिश्चित करने और गंगा नदी के पुनर्जीवन हेतु बेहतर समन्वय के लिए केन्द्र सरकार के अन्य चार मंत्रालयों अर्थात् केन्द्रीय मंत्री-ग्रामीण विकास मंत्रालय, केन्द्रीय मंत्री-पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय, केन्द्रीय मंत्री-पोत परिवहन मंत्रालय और राज्य मंत्री- पर्यटन मंत्रालय को शामिल करते हुए राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण की पुनर्स्थापना हुई थी। [ कृपया अधिक जानकारी के लिए www.mowr.gov.in देखें ]